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वह कुछ नहीं कहता था
By Mrs. Kusum Dandona Monday, May 23, 2022
वह कुछ नहीं कहता था
बस चुपचाप सुनता था !
वह सुनता था छोटी-छोटी
बालिकाओं की शिकायतें,
वह सुनता था बड़ी कन्याओं की
हँसी – ठिठोली , चुहलबाज़ी
वह सुनता था अध्यापिकाओं की
ड्यूटी के अनोखे क़िस्से ,
पर कुछ नहीं कहता था
बस चुपचाप सुनता था I
वैल्हम की अनेक कहानियाँ
इसकी उन्नति – प्रगति की बड़ी – बड़ी योजनाएँ ,
इसी की छाँव के नीचे खड़े होकर
शायद किसी ने बनाई होंगी !
उन सबको वह सुनता था
पर कुछ कहता नहीं था , बस चुपचाप सुनता था I
वह हरा भरा , सेमल का विशाल वृक्ष
जो स्कूल के घंटाघर के ठीक सामने
सीना तान कर खड़ा रहता था
हवा के झोंके आने पर ख़ुशी से झूमता था
सेमल के लाल फूलों से सजकर
घमंड में अकड़ता था
चिड़ियों की चहचहाहट सुन
खिल उठता था
पर वह कहता कुछ नहीं था
बस चुपचाप सुनता था !
बस उम्र हो गई थी उसकी
ʻ इससे पहले वह किसी पर गिर जाए , इसे मुक्ति दे देते हैं Iʼ
यह सुनकर भी वह बूढ़ा सेमल कुछ नहीं बोला , सिर्फ सुनता रहा !!
कुछ समय पूर्व
उसने स्वयं ही प्राण त्याग दिए
और समां गया , अपनी माँ
धरती माँ की गोद में I
आज जब उस खाली स्थान को देखती हूँ
तो दिल में एक हूक सी उठती है ,
क्यों नहीं रोप देते उस स्थान पर एक पौधा हम ?
जो बड़ा होकर वैसा ही विशाल वृक्ष बन जाए
उसी की तरह झूमे लहराए
सब उसे अपने किस्से सुनाएँ
और वह चुपचाप सुनता रहे , सुनता रहे !!